देशसेवा के साथ समाज सेवा करने के लिए मिलिट्री की नौकरी छोड़ संस्था बनाया।

युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)


धनबाद।रंजीत सिंह परमार मिलिट्री की नौकरी छोड़ समाजसेवा के लिए खुद का संस्था शुरू किए।धनबाद में ही पले-बढ़े और शिक्षा दीक्षा भी यही हुई।धनबाद की धरती ही इनका कर्म क्षेत्र बना।पिता रेलवे में कार्यरत थे।घर में तीनों भाई में पढ़ने लिखने में भी निपुण थे।मद्रास से ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद 1983 में मिलिट्री में जोइनिंग हुआ।पर समाज की कुरीतियों को देखकर इतने प्रभावित हुए कि 1988 में ही नौकरी छोड़ दी।देश सेवा के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ करने का जुनून था।इसलिए,नौकरी छोड़ दी और खुद का व्यवसाय शुरू कर दिए।इनकी सोच रही हैं कि समाज को जोड़कर ही देश सेवा सम्भव हैं।समाज मे कई कुरीतियाँ हैं।जिन्हें समाज से हटाना बहुत ही जरूरी हैं।इसी उद्देश्य को लेकर नौकरी छोड़ दी।ऑटोमोबाइल इंजियरिंग करने के बाद से ही भावनात्मक उद्देश्य के साथ काम करने की अभिलाषा रही हैं।

झारखण्ड जागृति मंच की शुरुआत करने से पहले ही आरटीआई सोशल एक्टिविस्ट के रूप में करीब 20 सालों तक काम कर चुके हैं।अभी भी इनके पास 1000 से भी ज़्यादा व्यक्तिगत और सामाजिक फ़ाइल हैं।जिनका निदान करने के बाद ही कोई दूसरे केस में लगते हैं।झारखण्ड अस्मिता जागृति मंच की शुरुआत 2014 से की गई हैं।जो कि एक ट्रस्ट के रूप में भी रजिस्टर्ड हैं।ट्रस्ट और मंच दो अलग-अलग चीज हैं।ट्रस्ट के माध्यम से सामाजिक काम किया जाता हैं और मंच आंदोलन का काम करती हैं।सामाजिक कार्यों की अगर बात की जाये तो शिक्षा,स्वास्थ और कई अन्य समस्याओं को लेकर हमेशा ही सक्रिय रहे हैं।कई तरह की समाज से जुड़ी पीआईएल भी दायर कर चुके हैं।जिनमें से कई में जीत मिल चुकी हैं।तो कई पर अभी भी काम जारी हैं।रोजाना दो घण्टे का मुफ्त में सोशल साइंस का क्लास भी लेते हैं।

राशन कार्ड,री-एडमिशन,फ्लाई ओवर ब्रिज आदि कई मुद्दों के लिए संघर्ष कर रहें हैं।कुछ में सफलता मिली ही हैं।तो,तो कुछ में आधा अधूरा हो चुका हैं।अभी खास कर शिक्षा को लेकर ज़्यादा सक्रिय हैं।क्योंकि,शिक्षा से ही समाज मे एक बड़ा बदलाव संभव हैं।सभी एक समान और मुफ्त में शिक्षा मिले।यही लक्ष्य के साथ वर्तमान में अग्रसर हैं।रंजीत का मानना हैं कि शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए।
राजनीति में इनके आने की कोई मंशा नहीं हैं।पूछने पर कहते हैं कि राजनीति में लोग बंध जाते हैं।जबकि,संस्था के माध्यम से समाज के लिए स्वतंत्र रूप से काम किया जा सकता हैं।इस वजह से राजनीति में जाने की कोई अभिलाषा नहीं हैं।पर,अगर सामाजिक हित के लिए राजनीति भी करनी पड़ी।तो सोच विचार कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे।वर्तमान में इनका एक खुशहाल परिवार हैं।इतनी व्यस्तता के बावजूद समय सभी के लिए निकालते हैं।आने वाले समय समाज के अन्य कुरीतियों के लिए लड़ाई लड़ेंगे।अगर इन्हें लगा कि समाज मे यह गलत हो रहा हैं।तो उसके निदान हेतु संघर्ष करना ही अपना कर्तव्य मानते हैं।
◆फोटोग्राफर:-संतोष कु. यादव
◆रिपोर्टर:-सरताज खान

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