एएसआई बनने से पहले कभी खेती बाड़ी की तो कभी रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर सोए

★युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)
धनबाद।सूरा पूर्ति वर्तमान में धनबाद ट्रैफिक पुलिस के एएसआई हैं।पर,यहाँ तक का सफर इनके लिए बहुत ही संघर्षशील रहा।चाईबासा में पले बढ़े और शिक्षा भी वही हुई।परिवार खेती बाड़ी पर निर्भर रहता था।आज भी इनके परिवार में खेती बाड़ी होती ही हैं।ये स्वयं भी जब छुट्टीयों में घर जाते हैं,तो खेती में लग जाते हैं।ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई इन्होंने की हैं।पर,मैट्रिक के बाद से ही नौकरी के लिए प्रयास करते थे।दूसरों को पुलिस की वर्दी में देख कर खुद भी पुलिस ऑफिसर बनने की सोची।आर्थिक स्तिथि परिवार की उतनी भी अच्छी नहीं थी कि घर से पढ़ाई लिखाई के लिए पैसे मिल सके।इसलिए,पढ़ाई के साथ-साथ काम भी किया करते थे।कोई भी काम मिल जाता था।तो किया करते थे।यह कभी नहीं सोचा कि यह काम छोटा हैं।या इसको करने से खराब लगता हो।बस दो पैसा आ जाये।यही सोचते थे।दो तीन बार कोशिश के बाद कॉन्स्टेबल के रूप में 1999 में चाईबासा में ही जोइनिंग किये।जब कभी भी परीक्षा देने के लिए जाया करते थे।तो कभी रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड या जहाँ जगह मिलता वही सो जाया करते थे।गाँव मे पहले से शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त हुई हैं।खुद भी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की हैं।इसलिए,सरकारी स्कूल के शिक्षकों और बच्चों को हमेशा ही दिशा निर्देश करते रहते हैं।जब स्वयं इतनी कठिन परिस्तिथियों से आगे बढ़े हैं।तो,अपने गांव के युवाओं को हमेशा ही प्रोत्साहित करते हैं।


धनबाद की ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर चर्चा करने पर कहते हैं कि पहले से व्यवस्था बहुत सुधरी हैं।पर अभी भी कमी बहुत हैं।जो उम्मीद हैं कि धीरे-धीरे दूर जरूर होगी।जाम लगने का खास कारण ऑटो चालक हैं।क्योंकि,ऑटो की संख्या इस कदर बढ़ रही हैं कि पार्किंग की व्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाती हैं।इस वजह से आम जनता को भी बहुत दिक्कते हो ही रही हैं।बड़े पदाधिकारी के निर्देश पर ही काम करते हैं।समय लग रहा हैं,पर सुधार किया जायेगा।
धनबाद में ट्रैफिक जवानों की ड्यूटी में भी बहुत समस्याएं हैं।धनबाद एक बहुत बड़ा क्षेत्र हैं।जबकि एक ही गाड़ी की व्यवस्ता हैं।जिससे दिक्कत तो होती हैं।पर क्या कर सकते हैं?ड्यूटी हैं,करना तो पड़ता है हैं।स्ट्रेंथ के हिसाब से 200 जवान होने चाहिए।पर हमारे पास वर्तमान में 62 जवान हैं।जवानों की कमी भी एक समस्या हैं।इनमें से कुछ छुट्टी में भी चले जाते हैं।तो संख्या और भी घट जाती हैं।एक जवान 24 घण्टे तक ड्यूटी पर तैनात रहता हैं।ट्रैफिक में कैसे सुधार लाया जाए?इस विषय मे अधिकारियों से चर्चा होती ही रहती हैं।उम्मीद हैं कि कुछ बेहतर परिणाम जरूर आएंगे।


आज भी जब कभी सूरा पूर्ति अपने गाँव जाते हैं।तो खास कर अपने गाँव के युवाओं से यही कहते हैं कि पढ़ाई लिखाई के साथ दैनिक काम भी जरूर करें।इनकी शादी हो चुकी हैं और एक खुशहाल परिवार साथ मे हैं।ड्यूटी तो 24 घण्टे करनी ही पड़ती हैं।पर इमरजेंसी छुट्टी मिल ही जाती हैं।ज़िन्दगी में ड्यूटी को ही सब कुछ मानते हैं।क्योंकि, देश सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं।पहले देश सेवा,फिर बाद में और कुछ।जो भी हो,सूरा पूर्ति ने अपने जीवन मे काफी संघर्ष किया।तभी एक खेती बाड़ी वाले परिवार से होते हुए भी यह मुकाम पाया।
नेशनल टुडे लाइव की टीम इस तरह के जज्बे को सलाम करती हैं।
★रिपोर्टर:-सरताज खान
★फोटोग्राफर:-संतोष कु. यादव

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