सिर्फ कानून के द्वारा परिवर्तन संभव नहीं,स्वयं में परिवर्तन लाना हैं जरूरी।

-युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)

महुदा(धनबाद)।शंकर रवानी महुदा थाना अन्तर्गत कचेरा बस्ती के निवासी हैं।वर्तमान में झारखण्ड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।बचपन बचाओ आंदोलन और बाल कल्याण समिति(बेंच मजिस्ट्रेट) के सदस्य भी हैं।इसके अतिरिक्त झारखण्ड प्रदेश लोक समिति के प्रदेश सचिव भी हैं।शुरुआती दौर में परिवार बहुत ही गरीब रहा हैं।पिता मौजीलाल रवानी बीसीसीएल मजदूर हुआ करते थे।इसी से पाँच भाई तीन बहन समेत पूरे परिवार का भरण पोषण होता था।शंकर अपने भाई बहनों में मंझले हैं।अपने कॉलेज के दिनों से ही सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं।शिक्षा में इन्होंने पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज से एमए(राजनीतिशास्त्र) व बिरसा कृषि विश्वविद्यालय राँची से सोशल साइंटिस्ट के रूप में रिसर्च भी कर चुके हैं।

1991 में महुदा कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।जब समाज में विभिन्न कुरीतियों को देखा तो बहुत ही हताश हुए और फिर निर्णय किये कि समाज के लिए कुछ करना हैं।साक्षरता आंदोलन से जुड़े रहें और लगातार 2000 तक सक्रिय रहे।फिर स्वयं झारखण्ड ग्रामीण विकास ट्रस्ट की स्थापना किये।उस समय संस्था के रजिस्ट्रेशन के लिए पैसे नही थे।पर समाज के लोगों व दोस्तों के सहयोग से सफलतापूर्वक कार्य सम्पन्न हुआ।समाज की समस्यायों से बहुत ही प्रेरित हुए।जिला और प्रखण्ड स्तर पर इनका कार्य बहुत ही प्रभावपूर्ण रहा हैं।समाज के महिला व बच्चों के लिए इन्होंने हमेशा कार्य करते आये हैं।अभी तक इनके नेतृत्व में 100 स्वयं संस्था समूहों का गठन किया जा चुका हैं।जिनमें से 70 समूहों में सिर्फ 1500 महिलायें जुड़ी हुई हैं।लगभग 700 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा चुका हैं।10 से 15 महिलाओं का समूह ऐसा भी हैं।जो जन वितरण प्रणाली की दुकानें चलाती हैं।इस वजह से अब महिलाओं के परिवार की स्तिथि में बहुत ही सुधार आया हैं।2004 से ही संस्था के माध्यम से पूरे धनबाद जिला में कन्या भ्रूण हत्या और जन पंजीयन का कार्य शुरू किए।कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए प्रसव पूर्व लिंग जाँच अधिनियम 1994 के तहत एक कानून पारित हुआ हैं।जिस पर इन्होंने काम शुरू किया और जो कोपल परियोजना के नाम से प्रचलित हैं।1994 में जिस जागरूकता अभियान की मशाल लिए अग्रसर हुए।इसका असर इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि उस समय सिर्फ 6 अल्ट्रासाउंड धनबाद में निबंधित थे।पर 2010 में यह आँकड़ा 123 हो गया।जिसके लिए स्वास्थ मंत्रालय झारखंड सरकार द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया जा चुका हैं।

 

वर्तमान समय मे महिला हिंसा और लिंग भेद को समाप्त करने के लिए बाघमारा के 10 पंचायत में अभियान चलाया जा रहा हैं।जिसके तहत महिला व किशोरी के साथ बैठक की जाती हैं तथा कार्यशाला कर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता हैं।महिलाओं और किशोरियों को कानून के बारे में जानकारी भी दी जाती हैं।साथ ही जो सामाजिक कुरीतियां जैसे डाईन प्रथा आदि के लिए  कानूनी सहायता भी देते हैं।अगर जरूरत पड़ी तो वकील भी मुहैया करा दी जाती हैं।हर माह दर्जनों मामले आते हैं।जिनका निपटारा किया जाता हैं।बाल अधिकार व संरक्षण पर भी संस्था काफी जोश के साथ काम कर रही हैं।बच्चे देश का भविष्य हैं और अगर ये ही भटक जाए।तो फिर क्या होगा देश का।इनके कार्यों को देखते हुए बाल कल्याण समिति में नियुक्त किये गए।सरकार अपने हिसाब से काम कर रही हैं।पर उनकी योजनाएं अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा हैं।बीच के लोग ही घोटाला कर देते हैं।शंकर अपना आदर्श जेपी लोहिया को मानते हैं और उन्ही के विचारों पर चलते हैं।घर परिवार और खास कर अपनी पत्नी के सहयोग को काफी सराहनीय मानते हैं।क्योंकि,कभी कभी काम करते हुए रात 12 भी बज जाते हैं।भविष्य में इनका लक्ष्य हैं कि समता मूलक समाज की स्थापना हो और बच्चों व महिलाओं का सर्वांगिक विकास हो।आम जनता से इनका एक ही अपील हैं कि आप खुद में परिवर्तन लाये।तभी समाज मे परिवर्तन आएगा।किसी कानून से कोई भी बदलाव लाना सम्भव नहीं हैं।लोगों से समाज से हैं और समाज के हित के लिए ही कानून बनाये जाते हैं।

1,138 total views, 1 views today

One comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *