पत्नी और बेटा ने डीसी के सामने कहा कि भूख की वजह से हुई बैद्यनाथ की मौत।

पत्नी और बेटा डीसी के सामने बोले-भूख से हुई बैद्यनाथ की मौत।


झरिया।रिक्शा चालक बैद्यनाथ रविदास की भूख और बीमारी से मौत के एक दिन बाद रविवार को धनबाद के डीसी ए.दोड्डे के साथ पूरा प्रशासनिक अमला जांच करने झरिया के भालगढ़ा ताराबगान टीनाधौड़ा पहुंचा। डीसी ने परिजनों के लिखित बयान लिए। मृतक की पत्नी पार्वती देवी की हालत खराब है। वह बिस्तर पर है। मृतक के बड़े बेटे रवि रविदास ने नेताओं और अधिकारियों के समक्ष चीख-चीखकर कहा कि उसके पिता की मौत समय पर खाना नहीं मिलने के कारण हुई। वहीं, मृतक की पत्नी ने कहा कि एक हफ्ते से घर का चूल्हा बंद था।
बेटे ने क्या कहा : बैद्यनाथ के बड़े बेटे रवि रविदास ने बताया कि वह फिलहाल बेरोजगार है। नानी के साथ गया में रह रहा था। कभी-कभार हेल्पर का काम करता था। 16 वर्षीय छोटा भाई सूरज बिजली मिस्त्री के साथ हेल्पर है। वह भी नियमित नहीं है। छोटा भाई नीरज कक्षा चार में पढ़ता है। दो बहनें हैं। पिता रिक्शा चलाते थे, लेकिन घर का खर्च नहीं चल पाता था। मां चौका-बर्तन करती है। पिछले दो माह से पिता बीमार पड़ गए थे। घर में खाने को नहीं रहता था। आसपास के लोगों से जब खाना मांग कर लाया गया तो पिता खाने की स्थिति में नहीं रहे। वह भूख से ही बीमार पड़े। अगर राशन कार्ड होता तो शायद मौत नहीं होती। कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन कार्ड नहीं बना।
पत्नी ने दिया बयान: मृतक बैद्यनाथ रविदास की पत्नी पार्वती देवी ने अधिकारियों और नेताओं को बताया कि दूसरे के घरों में चौका -बर्तन कर किसी तरह दिन में एक बार घर का चूल्हा जलाता था। एक सप्ताह से वह भी बंद हो गया था। अगल-बगल से मांग कर किसी तरह बच्चों को खाने को दे रही ती। पति खाने लायक नहीं रह गए थे। पैसे के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा था। राशन कार्ड अगर होता तो पति जिंदा होते। बच्चों के ऊपर से पिता का साया नहीं उठता। इतना कहते हुए वह रो पड़ी। लोगों ने सांत्वना दी। वह पति की मौत के बाद शनिवार को गिर गई थी। इससे चोट आई और उसने बिस्तर पकड़ लिया।

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One comment

  • अमिर है उसका पास रशन काडॅ है गरिब उसका कुछभी नही अमिर ही सबसे बडा गरिब है अप्सर के नजार मे गरिब कहा जाएगा अमिर चाहे चुटकी मे कर सकता है गरिब मेहन्त करके भी कुछभी नही पता आप देखा रहे नेता के पिछे अमिर ही दोडता है गरिब नही ईसलिए लिख कह रहा हु अमिर ही गरिब अप्सर के नजर मे

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