कभी 5 रुपये में करते थे सब्जी पहुँचाने का काम आज हैं समाज मे पहचान और नाम।
-युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।
पुराना बाज़ार(धनबाद)।मो. सोहराब खान वर्तमान में पुराना बाजार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष हैं।शुरुआत की स्कूली शिक्षा मिल्लत हाई स्कूल वासेपुर से हुई।जहाँ वे स्कूल टॉपर रह चुके हैं।पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज से बॉटनी ऑनर्स भी कर चुके हैं।आज इन्होंने जो भी मुकाम पाया हैं।शायद कोई और होता तो दम तोड़ चुका होता।या बीच मे ही सब कुछ छोड़ एक आम ज़िन्दगी जीने की सोचता।पर इनकी सोच मेहनत लगन और आत्मविश्वास ने मंज़िल तक पहुंचाई।यूँ तो सोहराब अपनी कामयाबी को बड़ा नहीं मानते हैं।वे हमेशा असाधारण बात करते हैं।जिन्हें सुन कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाये।
जब इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की तो इंसानियत में विश्वास की वजह से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय चले गए।पर आर्थिक स्तिथि बहुत खराब होने की वजह से बीच मे ही पढ़ाई छोड़ वापस आ गए।डॉक्टर बन लोगों की सेवा करने के सपने को अधूरा ही छोड़ना पड़ा।पर जनसेवा से सोहराब वर्तमान में भी जुड़े हुए हैं।धनबाद जब वापस आ गए तो काम करने के साथ पढ़ाई भी जारी रखा।ट्यूशन पढ़ाया तो घरों में 5 रुपये पर सब्जी पहुँचाने का काम भी किये।अपने परिवार में तीन भाईयों में मंझले हैं।जब घर की आर्थिक स्तिथि बिगड़ती गयी।तो फिर फुटपाथ पर अंडरगारमेंट्स बेचना शुरू कर दिए।
जब दुकानें बंद हुआ करती थी।तभी फुटपाथ पर अपना धंधा किया करते थे।जब दुकाने खुल जाती थी।तो कोई ऐसे दुकान की तलाश करते थे।जो बन्द हो,फिर वही अपनी दुकान लगा दिया करते थे।1999 में पहली बार पुराना बाजार चैम्बर के संरक्षक महेंद्र अग्रवाल,ज्ञानदेव अग्रवाल और तत्कालीन अध्यक्ष साबिर आलम के सहयोग से जूनियर कार्यकारिणी सदस्यता मिली।रामनवमी मुहर्रम हर त्यौहार में शरबत पिलाना,पानी पिलाना व अन्य काम किया करते थे।क्योंकि,बचपन से ही जन सेवा में रुचि इनकी हमेशा से रही हैं।
मामूली से सदस्य के रूप में कार्यरत रहें।फिर 2011-13 में पहली बार निर्विरोध सचिव के रूप में चुने गए।2013-15 में फिर से सचिव के पद पर बने रहें।2015-17 में सचिव के पद से अब अध्यक्ष चुने गए।2017-19 में भी अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे।अगर पुराना बाजार के लोगों का प्यार और सहयोग रहा तो।पूरे धनबाद भर में 55 चैम्बर हैं।पर सबसे कम उम्र का चैम्बर अध्यक्ष व सचिव होने का गौरव इन्ही के नाम हैं।जो कि एक रिकॉर्ड हैं।दूसरी बात ये अब तक अविवाहित हैं।
इस मुकाम तक पहुँचने का सारा श्रेय उन्होंने अपने माता पिता को दिया।कहा कि शिक्षा दीक्षा से लेकर हर कदम माता पिता का सहयोग रहा।17 जनवरी 2017 को अचानक हार्ट अटैक हो जाने से उनके पिता का देहांत हो गया।बड़े भाई पिता का दुकान संभालते हैं।छोटा भाई बड़े भाई के साथ काम मे हाथ बटाते हैं।परिवार में इनके अलावे सोहराब की दो बहनें भी हैं।
आमतौर पर मुस्लिम समुदाय में लड़कियों को ज़्यादा पढ़ाया नहीं जाता हैं।पर,इन्होंने अपनी बहनों की शिक्षा में कोई कमी नहीं रखी हैं।एक बहन की शादी सॉफ्टवेयर इंजीनियर से हुई हैं।दूसरी की शादी के बाद ही सोहराब अपनी शादी के बारे में सोचेंगे।पर माँ की चाहत हैं कि कोई सुंदर और सुशील लड़की से सोहराब की शादी हों।पुराना बाजार का इतिहास 100 साल से भी अधिक का रहा हैं।पूछने पर कहते हैं कि पुराना बाजार और अपनी बहन के लिए कुछ करना हैं।फिर अपनी शादी के बारे में सोचेंगे।साल में तीन से चार बार रक्तदान करते हैं।बच्चों से बड़ा ही लगाव हैं और जनसेवा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।बच्चों से खास लगाव होने की वजह से पहला कदम से जुड़े हैं।इस स्कूल की संस्थापिका अनिता अग्रवाल को अपना बहन मानते हैं।ईद हो या खुद का जन्मदिन,इस दिन को सोहराब हमेशा से ही पहला कदम के दिव्यांग बच्चों संग मनाते हैं।ऐसा करके उन्हें बहुत ही खुशी मिलती हैं।समाज मे एक नाम और पहचान बनाने के बाद भी बहुत ही सरल शब्दों में लोगों के लिए सन्देश देते हैं कि आपका समय खराब हो सकता हैं।आपके पास पैसे नहीं हो सकते हैं।पर हौसला हिम्मत और ईमानदारी से आप आगे बढ़ सकते हो।
कोई दोस्त उनसे कहा करते थे कि मेरा नाम का पहला अक्षर एस हैं।एस अक्षर से कई बड़े लोगों का नाम शुरू होता हैं।तब सोहराब का एक ही जवाब होता हैं कि साहस संयम और सच्चाई तीन चीज मिलकर ही सोहराब बनता हैं।सोहराब की अंतिम चाहत हैं कि वे जाति धर्म या अन्य प्रकार से लोग उन्हें याद नहीं रखे।बल्कि,उन्हें लोग एक अच्छे इंसान के रूप में याद रखे।फिलहाल उनका किसी भी प्रकार से राजनीति में आने का कोई शौक नहीं हैं।पर अगर जनसेवा के हित मे राजनीति से जुड़ना पड़े।तो जरूर कोई राष्ट्रीय पार्टी को जॉइन करेंगे।सोहराब ने अपने कार्यकाल में पुराना बाजार में कई व्यवस्थायें की।
पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं थी।शौचालय के लिए कोई सुविधा नहीं थी।यह सब व्यवस्था अब हो चुकी हैं।पर कुछ चीजें ऐसी हैं।जो बिना सरकारी फण्ड के सम्भव नहीं हैं।इसलिए हमेशा प्रयास करते हैं कि सरकारी फण्ड पुराना बाजार चैम्बर को मिले।जिससे और भी अन्य सुविधाएं दुरुस्त की जाए।जवानी दोबारा नही आती है और इसलिए इस समय को गवाये नहीं।जातिगत भावना,धर्म आदि से ऊपर उठकर समाज के लिए कुछ करें।क्योंकि,अपने लिए जीने वाले सभी हैं।पर जो समाज के लिए भी जीते हैं।उन्हें दुनिया याद रखती हैं।सोहराब जातिगत और धार्मिक भवनाओं से ऊपर उठकर कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।इनका एक समूह भी हैं जो गरीब लडकियों की शादी और शिक्षा में सहयोग करते हैं।
नेशनल टुडे लाइव की टीम सोहराब जैसे सख्स को सलाम करती हैं।जिन्होंने इतनी मेहनत कर अपना मुकाम बनाया।
-छायाकार संतोष कुमार यादव के साथ धनबाद से सरताज खान की रिपोर्ट।
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Nice effort
I selute this man