धनबाद में छुपा हुआ टैलेंट बहुत हैं,पर सपोर्ट करने वालों की कमी हैं-शशि सिंह

★युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।

धनबाद।स्पार्क्स डांस एकैडमी धनबाद में अपनी एक अलग ही नाम और पहचान की वजह से जानी जाती हैं।इसका श्रेय सिर्फ शशि सिंह को जाता हैं।जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से स्पार्क्स डांस एकेडमी को धनबाद में एक पहचान मिली।शशि धनबाद में ही जन्में और इसी जगह उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की।दसवीं तक जिला स्कूल में पढ़े।फिर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज से किये।पिता स्व. डीडी सिंह सिविल कांट्रेक्टर थे और माँ सरस्वती देवी गृहणी हैं।जिस माहौल और परिवार से शशि संबंध रखते हैं।वहाँ डांस के लिए कोई जगह नहीं था।डांस को बहुत हीन भावना से लोग देखते थे।घर मे आस पड़ोस के लोग इसको लेकर बहुत कहते थे।
पर उन बातों की परवाह शशि ने नहीं की।बचपन से शौक नहीं बल्कि एक जुनून था कि डांस की दुनिया में कुछ करना हैं।उस समय धनबाद में कोई इंस्टिट्यूट भी नहीं था।जहाँ वह सीख सकते थे।इस वजह से सप्ताह में दो दिन डांस क्लास के लिए आसनसोल जाया करते थे।घर में बिना बताए और बिना ट्रैन टिकट के।क्योंकि,उस समय शशि के पास ज़्यादा पैसा नहीं होते थे।कई बार भूखे बिना कुछ खाये पिये सीखने के लिए चल देते थे।कई बार घर में जान जाने पर पिता से पिटाई भी मिलती थी।लेकिन,जब बहुत समस्या आने लगी तो फिर डांस क्लास छोड़ दिया।शशि अपने चार भाई और चार बहनों में दूसरे जगह पर हैं।इस वजह से ज़िम्मेदारी भी बढ़ गयी।


डांस क्लास छोड़ने के बाद खुद का कुछ व्यवसाय शुरू करनी की सोचे।पर,पूँजी न होने की वजह से कुछ करना भी मुश्किल जरूर रहा।पर नामुमकिन कुछ भी नहीं।दोस्तों के सहयोग से ईटा,गिटी, बालू आदि का धंधा शुरू किए।जब यह नहीं चला तो प्राइवेट में लाइट सप्लाई का भी काम किये।इस तरह अनुभव मिलता रहा और काम बदलते गए।वर्ष 1999 में इन्होंने डेकोरेटर का बिज़नेस शुरू किए।इसी बीच बहुत कम उम्र में शशि की शादी हो चुकी थी।लगभग 21 वर्ष की उम्र में इन्होंने माता पिता के कहने पर शादी कर ली।वर्ष 2000 में पिता के देहांत के बाद घर की स्तिथि और भी बिगड़ गयी और जिम्मेदारी भी बढ़ गयी।
वर्ष 2004 में बहन की शादी,वर्ष 2005 में घर बनाये,2007 में भाई की शादी हुई,2010 में बहन की शादी हुई।इवेंट का काम भी बढ़ गया।कभी एक ऐसा भी समय था।जब 30 किलोमीटर बिना साईकिल, गाड़ी के चलना पड़ता था।गर्मी के दिनों में कभी कभी ऐसा भी होता था कि मुँह से खून आ जाया करता था।जब सब कुछ सेट हो गया।तो सोचा कि अब कुछ किया जाना संभव हैं।क्योंकि,सब कुछ सेटल हो चुका था।


जिस जगह शशि रहते हैं,वहीं पड़ोस में एक डांस क्लास चलता था।जिसे चिरगोड़ा निवासी कंचन श्रीवास्तव चलाया करती थी।चूँकि,खुद से डांस सिखाना सम्भव नहीं था।इस वजह से 2012 में इन्होंने स्पार्क्स डांस एकेडमी की शुरुआत की।कलकत्ता से हरीश विश्वकर्मा को डांस सिखाने के लिए बुलाया गया।फिर उन्होंने खुद को भी पहले से बेहतर बनाया।शुरुआत में मात्र तीन ही स्टूडेंट थे।लेकिन,आज सौ से भी ज़्यादा स्टूडेंट्स हैं।शशि हमेशा डांस को सामाजिक मुद्दों के साथ पेश करते हैं।स्पार्क्स डांस सीजन वन किये 2014 में किये थे।जो नेत्रहीन लोगों पर आधारित था।सीजन टू 2017 में किया गया।जो बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ पर आधारित था।डांस के अलावे शशि अपना इवेंट मैनेजमेंट का व्यवसाय भी करते हैं।
धनबाद में डांस को लेकर इनका विचार हैं कि यहाँ छुपी हुई प्रतिभा बहुत हैं।पर वे कई कारणों से बाहर नहीं आ रही हैं।इसी वजह पैसा,डर और अन्य बहुत कुछ हैं।स्पार्क्स डांस एकेडमी इसी तरह के छुपे कलाकारों को सीखाने का काम करती हैं।उन्होंने यह भी कहा कि यहाँ कला को सपोर्ट करने वाले बहुत ही कम हैं।यहाँ के बिजनेसमैन बाहर से आये लोगों को स्पांस करते हैं।पर धनबाद में कोई कार्यक्रम हो,तो नहीं करते हैं।शशि ने चार लड़कियों को गोद भी लिए हैं।जिन्हें निःशुल्क डांस सिखाएंगे।साथ ही आर्थिक सहयोग भी करेंगे।


स्पार्क्स डांस एकेडमी से कई बच्चे विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपना जलवा दिखा चुके हैं।इसी साल 2017 में ही बिट्टू रजक अपनी टीम के साथ इंडिया वर्ल्ड हिप्पोप चैंपियनशिप में टॉप 5 तक पहुँचने में कामयाब रही।कई डीआईडी सीजन 2 और डीआईडी सीजन 3 में सेकंड और फोर्थ राउंड में पहुँच चुके हैं।


डांस को विकसित करने के लिए शशि प्रतिभा की खोज करते रहें हैं।उनका हर सम्भव प्रयास रहता हैं कि बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाए।बेटा बेटी में कोई अंतर न करें।सभी मे समानता रखे।शशि अपना आदर्श माइकल जैक्सन और धर्मेश सर को मानते हैं।डांस इनके लिए इबादत धर्म ज़िन्दगी सब कुछ हैं।डांस से खोई हुई ज़िन्दगी में खुशी ला सकते हैं।बीमार शरीर स्वस्थ कर सकते हैं।डांस से कई बदलाव लाना सम्भव हैं।

★रिपोर्टर:-सरताज खान

★छायाकार:-संतोष कुमार यादव

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