घर तक दवाई पहुँचाने की सुविधा भी देते हैं श्री पोद्दार मेडिसिन्स-संदीप।

युधिष्ठिर महतो (कुमार युडी)

धनबाद।संदीप पोद्दार दो दशक से भी अधिक समय से मेडिकल क्षेत्र में सक्रिय हैं।वर्तमान में खुद का अपना मेडिकल स्टोर चला रहे हैं।पर,इनके परिवार से कोई न कोई इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।1963 में दादा पुराना बाजार में पोद्दार मेडिकल हॉल चलाया करते थे।इसके बाद 1999 में चाचा बैंक मोड़ में पोद्दार मेडिकल चलाया करते थे।इस सभी जगहों में संदीप किसी न किसी रूप में जुड़े रहते और कुछ न कुछ किया ही करते थे।आज भी संदीप छोटे के नाम से लोकप्रिय हैं।धनबाद में ही दशवीं तक की पढ़ाई करने के बाद व्यवसाय से जुड़ गए।कई बार नौकरी के लिए फॉर्म भी भरें।पर,मन नहीं लगा और पूर्ण रूप से मेडिकल क्षेत्र से ही जुड़ गए।कई सालों तक दादा और चाचा के दुकानों को सँभालने के 20 साल बाद खुद का दुकान श्री पोद्दार मेडिसिन की शुरुआत की।

मेडिकल क्षेत्र में धनबाद में बहुत अवसर हैं।पर थोड़ी बहुत दिक्कतें भी हैं।वर्तमान में धनबाद में लगभग 1200-1500 मेडिकल स्टोर हैं।पर बीते समय मे मात्र 400-500 ही मेडिकल स्टोर हुआ करते थे।धनबाद का सबसे लोकप्रिय मेडिकल स्टोर जेडी कुमार हैं।शुरू शुरू में डॉक्टर के लिखावट को पढ़ने में ही सीखने में समय लग गया।चूँकि, सभी डॉक्टर्स को कैपिटल लेटर में लिखने का नियम हैं।पर शायद समय की कमी की वजह से नहीं लिख पाते हैं।इस वजह से सिस्टम को बदलना थोड़ा सा मुश्किल हैं।पर यह मुमकिन हैं।दवाईयाँ आज के समय मे बहुत महँगी हैं।संदीप का हमेशा सोच रहा हैं कि सस्ते दामों में लोगों तक ठीक ठाक दवाई पहुँच जाये।इसके लिए होम डिलीवरी सेवा भी देते हैं।साथ ही संदीप धनबाद में जेनेरिक मेडिसिन के लिए प्रधानमंत्री जन औषधी केंद्र की शुरुआत करने की सोच रहे हैं।मेडिकल क्षेत्र में कई कमियाँ भी हैं।सरकार ने कई नियम भी लागू किया हैं।पर कुछ चीजें सम्भव नहीं हैं।जिसमे बदलाव जरूरी हैं।एसोसिएशन का हमेशा से ही सहयोग रहा हैं।सरकार हर मेडिकल स्टोर में एक व्यक्ति को डेप्यूट करें।क्योंकि,आज के समय मे मेडिकल बहुत हैं।पर,फार्मेसिस्ट की कमी हैं।अब दवा दुकाने बहुत हो गयी हैं।नए लोग आ गए हैं।बहुत जगह गलत भी हो रहा हैं।पर एसोसिएशन के माध्यम से सब कुछ ठीक ठाक चल रही हैं।थोड़ी बहुत दिक्कतें हैं।जो आपस के सहयोग से दूर हो सकती हैं।रोजाना की कमाई सबका अपना-अपना हैं।कभी बहुत बिक्री हो जाती हैं।तो कभी थोड़े से ही संतोष करना पड़ता हैं।
ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री से बहुत ज़्यादा नुकसान हो रहा हैं।क्योंकि,ऑनलाइन सीधे ग्राहक तक कम कीमत पर पहुँचा देते हैं।पर दवाई सही हैं या नहीं।यह जिम्मेदारी कौन लेगा?साथ ही मेडिकल स्टोर को भी नुकसान होता हैं।जहां तक सही गलत की बात हैं।तो सिर्फ एक दुकानदार ही बता सकता हैं कि दवाई सही हैं या नहीं।ऑनलाइन में क्या हो रहा हैं?यह कोई नहीं जानता हैं।इसके लिए एसोसिएशन वाले कई बार स्ट्राइक भी कर चुके  हैं।पर हल कुछ भी नहीं निकल सका हैं।सेमी हॉल सेलर की भी दिक्कते हैं।ये लोग भी अब रिटेलर का काम कर रहे हैं।तो फिर रिटेलर क्या करेंगे।संदीप इन सब के बावजूद आज सही से अपना मेडिकल स्टोर चला रहे हैं।आगे भी इसी चीज को बढ़ाना हैं।समय के साथ जो हो सके,वह बदलाव संदीप लाएंगे।

फोटोग्राफर:-संतोष कुमार यादव

●रिपोर्टर:-सरताज खान

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