व्यवसाय को छोड़ जन सेवा की भावना से राजनीति में आये आठवीं पास हारून कुरैशी।

कुमार युडी।


आजादनगर(धनबाद)।हारून कुरैशी धनबाद नगर निगम वार्ड नंबर 17 के पूर्व पार्षद सह पार्षद प्रतिनिधि हैं।8वीं तक की पढ़ाई आजादनगर से की हैं और पले-बढ़े भी यहीं हैं।इस वजह से आस-पास के लोगों की ज़िंदगी के माहौल से वाकिफ हैं।कैसे एक आम आदमी की ज़िंदगी हैं।इस बात को खास तौर से हारून समझते हैं।पिता व्यवसाय करते थे।माँ गृहिणी थी।शुरू से ही परिवार में व्यवसाय का माहौल होने की वजह से इन्होंने भी अपनी ज़िंदगी की शुरुआत व्यवसाय से ही की थी।भूली झारखण्ड मोड़ में ही यह अपनी दुकान चलाते थे।लेकिन,जन सेवा की भावना इनके मन में हमेशा से ही रही हैं।मुफ्त में लोगों के लिए जो भी कर सकते,वह जरूर करते थे।चाहे शिक्षा से जुड़ी समस्या हो,स्वास्थ से हो अथवा कोई अन्य सामाजिक परेशानी हो।हारून से जो सम्भव होता,वह जरूर सहयोग करते थे।


राजनीति में इनका आना खुद का फैसला था और लोगों ने भी प्रोत्साहित किया कि राजनीति में आकर जन सेवा बेहतर तरीके से कर सकते हैं।इसलिए,एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में इन्होंने जेएमएम से राजनीति की दुनिया मे कदम रखा।राजू हांड़ी के माध्यम से जेएमएम से जुड़ गए और एक कुशल कार्यकर्ता के रूप में लगातार सक्रिय रहे।फिर किसी रोज प्रभु महतो,खेदन महतो और रेखा मंडल भूली दौरे में आये हुए थे।तो उन्होंने हारून को पूर्वी भूली का उपाध्यक्ष बना दिया।इसके बाद काम करते रहें,समाज में अपनी पहचान बनाते गए।


कई सालों तक जेएमएम से जुड़े रहने के बाद आनन्द सिंह के माध्यम से काँग्रेस में शामिल हुए।आज भी काँग्रेस से जुड़े ही हुए हैं।पर,गैर राजनीतिक रूप में ही जन सेवा का कार्य करते हैं।हारून आज जो कुछ भी हैं,यहाँ तक के सफर में उनके मित्र सलाउद्दीन खान का भरपूर सहयोग रहा हैं।उन्होंने हारून का साथ हमेशा ही दिया हैं।इसी तरह सब कुछ देखते ही देखते समय बीतता रहा और हारून का सफर भी बढ़ता गया।


धनबाद नगर निगम चुनाव में हारून ने मन बनाया कि वह भी चुनाव लड़ेंगे।जनता ने भी प्रोत्साहन दिया कि हारून आपको चुनाव लड़ना चाहिए।मित्र का भी सहयोग था ही।तो हारून ने धनबाद नगर निगम 2010 का चुनाव वार्ड नं. 17 से लड़ा।जिसमें हारून ने अपने विरोधी गवर्धन यादव को हराकर विजयी हुए।चुनाव जीतने से पहले और जीतने के बाद हमेशा ही हारून लोगों के लिए बिना जाति धर्म और व्यक्तिगत भेद भाव के काम करते रहे हैं।वर्तमान में वह पार्षद नहीं हैं।पर,उनकी पत्नी तरन्नुम वारसी वर्तमान में पार्षद हैं।चूँकि,2015 के डीएमसी चुनाव में वार्ड 17 की सीट महिला सीट हो चुकी थी।इस वजह से चुनाव में वह खड़े न होकर उन्होंने अपनी पत्नी को खड़ा किया।जिसमें उन्हें सफलता भी मिली और काम भी कर ही रहे हैं।
वार्ड 17 की आबादी हज़ारों में हैं अपने दो बार के कार्यकाल में हारून ने नाली निर्माण, रोड निर्माण,शिक्षा,स्वास्थ,आँगन बाड़ी केंद्र,पाँच माध्यमिक विद्यालय आदि का काम कर चुके हैं।इन सबकी देख रेख भी स्वयं ही करते हैं।फिर भी इनके क्षेत्र में कई समस्याएं आज भी हैं।एक स्वास्थ केंद्र जो था,वह अब बन्द पड़ा हुआ हैं।जिसको फिर से सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रयास जारी हैं।इसके अलावे हारून पढ़ाई लिखाई में लोगों को जागरूक करना,लड़की की शादी में सहयोग करना,बीपीएल में नाम चढ़ाना,स्वास्थ कार्ड बनवाना आदि कई जन कार्यों में सहयोग रहा ही हैं।भविष्य में इनका एक ही लक्ष्य हैं कि अपने क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ करना हैं।जो भी उम्मीद जनता ने हारून से रखी हैं।उनकी अपेक्षाओं पर हारून की कोशिश हैं कि वे खरे उतरे।ताकि,उनका विश्वास बना रहे और जनता फिर से हारून को ही चुने।
धनबाद नगर निगम के कार्यों में पहले से बहुत बदलाव आया हैं।कई योजनाओं के किये सफलता पूर्वक सहयोग भी मिल रहा हैं।फिर भी इनका क्षेत्र कई सुविधाओं से वंचित हैं।इनके क्षेत्र की लगभग 90% आबादी कच्ची सड़कों के साथ अपनी ज़िंदगी जी रही हैं।रोड की समस्या हो ही रही हैं।इसके लिए कई बार आवेदन दे चुके हैं।पर,फिर भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई हैं।बिजली की भी समस्या होती हैं।जिसके लिए कोशिश जारी हैं।जल्द ही कोई हल जरूर निकलेगा।ऐसी उम्मीद हारून की हैं।अब तक इनके क्षेत्र में 250 स्ट्रीट लाइट लगवाए जा चुके हैं।धार्मिक स्थलों पर भी लाइट लगवाए गए हैं।हारून का मानना हैं कि व्यक्ति की बोलचाल मधुर होनी चाहिए।बिना जाति धर्म और कोई भेदभाव के अपनी जन सेवा हारून जारी रखे हुए हैं।इतनी घनी आबादी होने के बावजूद इनके क्षेत्र में कोई भी हाई स्कूल नहीं हैं।कई बार निगम से सुझाव भी आया कि अपने क्षेत्र में जरूरी चीजें बनवाये।पर जमीन की कमी की वजह से यह सम्भव न हो सका।इसका खास कारण हैं जमीन माफिया।सभी सरकारी जमीनों पर अधिकतर जमीन माफियाओं का कब्जा हैं।जिसकी वजह से जमीन की कमी होती हैं।जमीन माफिया सरकारी जमीन को भी बेच देते हैं।जिसका खास प्रभाव आम जनता को भुगतना पड़ता हैं।जमीन की खास कमी होने की वजह से हारून कोई भी सार्वजनिक भवन आदि बनवाने में असमर्थ हैं।क्योंकि, डीएमसी से योजना पास भी हो रही हैं।तो,बिना जमीन के कोई भी काम कैसे संभव हैं?जमीन न होने की दिक्कत हो ही रही हैं और इस वजह से योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा हैं।


अपने क्षेत्र के युवा बेरोजगारी की समस्या से परेशान और दुःखी भी हैं।फिर भी इस विषय में हारून सोचते ही हैं कि कैसे बेरोजगारी समाप्त हो?क्योंकि,आस पास कोई कारखाना तो हैं नहीं कि युवाओ को काम तुरंत मिल जाये।पर क्षेत्र के हिसाब से कोई न कोई काम मिल जाये।ऐसा प्रयास रहता ही हैं और हमेशा ही इनका संदेश होता हैं कि शिक्षा में सभी ध्यान दो।शिक्षा से ही समाज में बड़ा बदलाव किया जा सकता हैं।
फोटोग्राफर:-संतोष कुमार यादव

                              ★रिपोर्टर:-सरताज खान

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