रेलकर्मी व यात्री इस ट्रेन में मनाते हैं कुछ खास तरीके से विश्वकर्मा पूजा।

सालों से चली आ रही है इस ट्रेन में एक परंपरा,17 सितम्बर को होता है ऐसा।


धनबाद। पूरे देश में हर साल 17 सितम्बर को देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाती है। इसी कड़ी में धनबाद जंक्शन से हावड़ा तक चलने वाली एक ट्रेन में भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। ट्रेन के डिब्बों को सजाया जाता है। यहीं प्रतिमा भी स्थापित की जाती है और पूरे विधि-विधान से पूजा होती है। यह परंपरा करीब 50 सालों से चली आ रही है।


ऐतिहासिक कोलफील्ड एक्सप्रेस ट्रेन में हर साल की तरह रविवार को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की गई। ढोल बाजे के साथ झूमते भक्त और माइक पर भजन कीर्तन के साथ मंत्रोच्चार सब ट्रेन में नजर आया।
भगवान विश्वकर्मा की इस अनोखी पूजा में ट्रेन के ड्राइवर और दैनिक यात्री शामिल होते हैं। इसमें हर धर्म और सम्प्रदाय के लोग शरीक होते हैं।


धनबाद से हावड़ा के बीच चलने वाली ऐतिहासिक कोलफिल्ड एक्सप्रेस ट्रेन कई मायने मे खास है। सप्ताह में सातों दिन चलने वाली इस ट्रेन में ज्यादातर दैनिक यात्री ही होते हैं।
धनबाद से हावड़ा के लिए कोलफिल्ड एक्सप्रेस प्रतिदिन सुबह में खुलती है और शाम में फिर वापस धनबाद आ जाती है। 264 किलोमीटर का सफर प्रतिदिन चार घंटें में पूरी करती है।


ट्रेन नहीं जीवन का मानते हैं हिस्सा।
जॉब से लेकर व्यापार के लिए दैनिक यात्रियों का सबसे सस्ता और सुलभ ट्रेन कोलफिल्ड ही है। ऐसे में दैनिक यात्री इसे सिर्फ ट्रेन नहीं,बल्कि अपने जीवन का हिस्सा समझते हैं।
यही कारण है कि विश्वकर्मा पूजा के मौके पर अपने घर की तरह ट्रेन की डिब्बों को सजाते सवांरते हैं और फिर पूजा करते हैं।
धनबाद से हावड़ा के बीच कोलफिल्ड एक्सप्रेस से यात्रियों का ट्रेन पर चढ़ना उतरना जारी रहता है। इन सबके बीच पूजा बिना बाधा पूरे भक्तिभाव से चलती रहती है।

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