भूली में भी मनाया गया प्रकृति का महा पर्व क्लिक करें और जाने।

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भूली:झुमइर खेले में आगे बाई रीझ लागे…
भादो की एकादशी को करमा पर्व मनाया जाता है़ ।
यह पर्व झारखंड के आदिवासी-मूलवासी सभी मिल कर मनाते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा एशिया की सबसे बड़ी श्रमिक नगरी भूली में भी देखने को मिला जहां भूली बस्ती में भाई बहन के प्रेम का एक अनूठा प्रकृति का महापर्व देखने को मिला वही आपको बताते चले कि
भुली । भुली बस्ती महतो दरवार में प्रकृति पर्व करमा रात्रि में पूरे धूमधाम, परंपरागत विधान से मनाया गया। महिलाएं पूरे दिन उपवास रखकर सूर्यास्त होने के बाद जलाशयों में पवित्र स्नान कर पवित्र करम वृक्ष की डाल लेकर अखरों पर पहुंची। करम राजा से देश व राज्य की खुशहाली, शांति व सुख-समृद्धि की कामना की. नृत्य व गीत प्रस्तुत किये गये. पूजा के उपरांत सभी पुरुषों के कान में जावा फूल की पत्ती लगायी गयी. करम वृक्ष की डाल को पूरे विधान एवं समर्पण के साथ धरती मां को समर्पित किया गया। कर्मा झारखंड के प्रमुख पर्वों में एक महत्वपूर्ण पर्व है। आयोजक मेघु महतो और विजय महतो ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश देनेवाला यह पर्व भाई-बहन का त्योहार है. इसमें बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और उसकी समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं. करम के पेड़ की डाली की पूजा करती हैं और अपने भैया राजा के लिए सुख, शांति और समृद्धि मांगती हैं. झारखंड के अलग-अलग जगहों पर यह पर्व मनाया गया. जगह-जगह करम की डाली गाड़ी गयी. पाहन ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. इसी क्रम में उन्हें करमा व धरमा की पौराणिक कथा को सादरी भाषा में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि करमा पर्व हमें प्रकृति से संबंध स्थापित कर पर्यावरण संरक्षण करने का संदेश देता है. उन्हें बताया गया कि हमारे पुरखों ने संस्कृति को संजो कर रखा है, जिसे हमें इस पूजनोत्सव के माध्यम से बरकरार रखना है. मौके पर कालीचरण महतो, बंदी राम महतो, तारा प्रसाद महतो, गोपाल महतो, दीपक महतो, रामचंद्र महतो, अनिल महतो, जगदेव महतो, राजेंदर महतो, प्रकाश महतो, हेमंत महतो, मनोज महतो, विजय महतो, पुजारी सुनील कुमार तिवारी, दामू हांसदा आदि उपस्थित थे।

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