भीड़ से कुछ अलग करने की सोच और संघर्ष ने ही मुझे अभिनेता बनाया-जावेद पठान।

युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी)।

धनबाद।जावेद पठान का नाम अभिनय की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं।कई टीवी सीरियल और कुछ फिल्मों में काम करने के बावजूद उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं।जो भी मिलेगा जावेद की पर्सनालिटी और मधुर व्यवहार का दीवाना हुए बिना रह नहीं सकता हैं।देश की कोयला राजधानी धनबाद से निकल कर मुम्बई तक के सफर को जावेद ने न सिर्फ जीया हैं।बल्कि,एक लंबा समय देकर उस माहौल में खुद ढाला हैं।जो शायद कभी भी धनबाद में रह कर संभव नहीं था।मैट्रिक तक की पढ़ाई धनबाद से ही की।फिर बारहवीं के लिए राँची चले गए।इनके पिता मो. इमामुद्दीन बीसीसीएल में माइनिंग सरदार हुआ करते थे।10 साल पहले ही रिटायर्ड हो चुके हैं।इनकी माँ जाहिदा खातून पूर्ण रूप से गृहिणी हैं।इनके परिवार में 4 भाई और 4 बहन हैं।सभी बहनों की शादी हो चुकी हैं।भाइयों की अभी होनी हैं।जावेद खुद भी अविवाहित हैं।

 


बारहवीं करने के बाद धनबाद चले आये और कुछ भीड़ से अलग हटकर करने की सोची।चूँकि,इनकी सोच हमेशा से रही हैं कि कुछ अलग कुछ ऐसा करना हैं।जो बिल्कुल ही यूनिक होनी चाहिए।उस समय इनकी उम्र करीब 20 साल की थी।इन्होंने धनबाद में एक शो करवाने की सोची।इस सोच को उन्होंने मिस्टर एंड मिस धनबाद का नाम दिया।इस शो को करने के लिए जावेद के पास पैसे भी नहीं थे।जितने भी स्पॉन्सर्स से बात किये।उन्होंने भी कहा कि शो के बाद ही पेमेंट करेंगे।जावेद सालों की मेहनत के बाद इस शो की तैयारी करने में सफल हुए।शो के पैसे के लिए घर का सेकंड हैंड वेस्पा जो 16 हज़ार में खरीदा गया था।वह 14 हज़ार में बेचा गया।कलकत्ता से शो के लिए ट्रेनर को भी बुला लिया गया।लेकिन,शो के दिन कुछ संस्थाओं के द्वारा तोड़ फोड़ की गई।काफी विरोध प्रदर्शन भी किया गया और शो कैंसिल हो गया।जावेद ने जो सपना देखा था कि पहले जिला स्तर पर कार्यक्रम की शुरुआत करनी हैं।फिर राज्य स्तर पर किया जाएगा।लेकिन,जब अपने ही शहर में मात मिली।तो,जावेद थोड़ा सा हताश हुआ।पर,हिम्मत और हौसला अब भी बरकरार था।धनबाद में इस असफलता के बाद जावेद काफी चर्चित भी हो गए।

इसके बाद वह मुम्बई अपने दोस्त के पास चला गया।जिसने उससे कहा था कि नौकरी पर लगा देगा।जो भी थोड़े पैसे थे और एक छोटा सा बैग लेकर वह उम्मीद लिए निकल पड़ा।मुम्बई पहुँच कर कई महीनों तक अपने दोस्त के साथ रहें और छोटा मोटा काम करते रहें।अपने दोस्तों से कहा कि एक्टर बनना हैं।फिर पता चला कि एक्टर बनने के लिए बॉडी होनी चाहिए।मॉडलिंग से जल्दी मौका भी मिलता हैं।पैसे बचाकर जिम भी जाने लगे।इस तरह 2 साल गुजर गए।पर,वहाँ भी व्यवहार की वजह से ज़्यादा दिन टिक नहीं पाए।कभी खाने की समस्या तो कुछ।सोचे वापस धनबाद चले आये।पर आत्मसम्मान और अपने आप से किये वादे को याद कर नहीं लौटे।दोस्त ने जो कुछ भी दिया था।सब वापस कर उन्होंने दोस्त के यहाँ भी छोड़ दिया और निकल पड़े कुछ और करने की कोशिश में।घर से कभी भी सपोर्ट नहीं लिया।न ही घर मे कभी अपने हालात के बारें में बताया।दोस्त के घर से निकलें तो जेब मे ज़्यादा पैसे भी नहीं थे।जावेद यूँ ही पैदल सड़कों पर चले जा रहे थे कि उसके जिम के एक जान पहचान वाले ने बुला लिया।साथ में नास्ते पर बुलाया।पर,जावेद को देख खाना भी आर्डर कर दिया।साथ मे खाना खाएं और फिर बात चीत कर जावेद निकल गये।कई दिनों तक जबरदस्ती बोलने पर वहाँ रुके रहें।पर खुद कुछ करने की सोच को लेकर उन्होंने वहाँ भी रुकना पसंद नहीं किया।

वहाँ से निकलने के बाद कई दिनों तक सड़कों पर सोये।बिना कुछ खाये पिये यूँ ही भटकते रहे।यह सिलसिला करीब 22 दिनों तक चला।कई छोटे मोटे काम भी कर गुज़ारा करने लगे।कुछ होटलों में भी काम का प्रयास करते रहें।पर सफलता नहीं मिली।कोशिश करते हुए संघर्ष जारी रहा और नूरमणि जिस होटल में काम करता था।वहाँ जावेद को काम मिल गयी।नूर मणि भी एक एक्टर ही हैं।जो उसी होटल में काम करते थे।उस होटल में जावेद को वेटर का काम मिल गया।सालों तक होटल में काम करने के बाद अंधेरी आकर पोर्टफोलियो बनवाये।राजेश मित्तल की फ़िल्म झांसी की रानी में रोजाना 500 रुपये पर काम भी मिल गया।फिर गोआ चले गए, वहां जॉब करते हुए 3 महीने बीत गए।डेढ़ सालों तक गोआ में ही रहें।फिर वापस मुम्बई आ गए।वहाँ एक मित्र सीरियल में काम करते थे।उनसे मिलकर काम के लिए बात की।बात चीत में उनका सलाह था कि सागर आर्ट्स चले जाओ।जावेद सागर आर्ट्स गए,वहां जाकर ऑडिशन भी दिए।

अगले दिन जावेद को सागर आर्ट्स से कॉल आया कि उसका चयन राजा यक्षराज पात्र के लिए हो चुका हैं।जो कि जय जय बजरंगबली भक्ति सीरियल से ही जुड़ा हुआ हैं।जिसका प्रसारण सहारा वन चैनल में हुआ था।इसके बाद कलर्स चैनल में प्रसारित सीरियल जय जग जननी माँ दुर्गा में पाताल केतु का रोल मिला।यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहा।पर लाइफ ओके चैनल में प्रसारित सीरियल हर हर महादेव में जावेद की काम करने की इच्छा हुई।क्योंकि,उस समय यह सीरियल सबसे ज़्यादा टीआरपी वाला सीरियल था।ट्रायंगल प्रोडक्शन में ऑडिशन के लिए गए।जहाँ मायाधारी के रोल के लिए जावेद का चयन हो गया।फिर बालाजी टेलीफिल्म्स और ड्रीम प्रोडक्शन का ज़ी टीवी में प्रसारित सीरियल जोधा अकबर में बेरम खान के दोस्त का किरदार मिल गया।सोनी चैनल में प्रसारित शो महाराणा प्रताप में इन्होंने काम किया और यहीं से इनका अभिनय का करियर में सफलता हासिल हुई।लोग पहचानने लगे।इस सीरियल में लगभग 9 से 10 महीने तक काम किया।इसके लिए अवॉर्ड से सम्मानित भी हो चुके हैं।कुछ फिल्मों के लिए भी इन्होंने काम किया।अनिल शर्मा के प्रोडक्शन के बैनर तले संजय शर्मा की फ़िल्म पैरानॉर्मल में सनी लियोनी,जया पर्दा,राजवीर सिंह के साथ जावेद ने भी काम किया हैं।बच्चों के टीवी सीरियल बालवीर में भी काम किया था।कंटेनो फिल्म्स द्वारा प्रसारित भक्ति सीरियल संकट मोचन महा बाली हनुमान में त्रिशूलरोम का किरदार भी कर चुके हैं।


जावेद आदर्श मानकर किन्ही को मानते नहीं हैं।पर अमिताभ बच्चन,नवाजुद्दीन सिद्दीकी, इरफान खान,मनोज वाजपेयी की पर्सनालिटी और एक्टिंग को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं।युवा को जवेद कुछ बात कहना चाहते हैं कि एक्टिंग एक समंदर हैं और आपको हर वर्ग के दर्शकों को एंटरटेन करना होता हैं।तो इसके लिए आपको पूरी तैयारी करनी हागी।क्योंकि,कोई भी काम बिना तैयारी और संघर्ष के सम्भव नहीं हैं।एक्टिंग को लेकर इनका अपना विचार हैं।इनका मानना हैं कि ये एक्टिंग के लिए ही बने हैं।एक्टिंग खुशी हैं,पैशन हैं।एक्टिंग के अलावे जैसे कुछ करना ही नहीं हैं।एक्टिंग के अतिरिक्त किताबें पढ़ना पसंद हैं।फिल्में देखना पसंद हैं और हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश में रहते हैं।

★रिपोर्टर सरताज खान

★छायाकार संतोष कुमार यादव

3,419 total views, 1 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *