खोरठा भाषा में करेंगे फ़िल्म निर्माण उड़ीसा के डायरेक्टर प्रोड्यूसर जीतू राउत

उड़ीसा के बाद अब झारखण्ड में भी करेंगे फ़िल्म निर्माण जीतू राउत।


राँची।झारखण्ड सरकार सम्मानित और हज़ारों खोरठा गीत लिख चुके खोरठा गीतकार विनय तिवारी ने बताया कि उड़ीसा फ़िल्म जगत में 7856 वीडियो गीत और लगभग आधा दर्जन फ़िल्म करने के उपरांत मशहूर फिल्म डायरेक्टर प्रोड्यूसर जीतू राउत झारखण्ड में भी फ़िल्म निर्माण का कार्य करने वाले हैं।वे झारखण्डी भाषा खोरठा में फ़िल्म बनायेंगे।उन्होंने कहा कि खोरठा में एक बार फिर एक नई शुरुआत होगी।जिस तरह से खोरठा गीतों ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी।फिर से फ़िल्म भी कुछ ऐसा ही छाप छोड़ेगी।जिससे एक दौर शुरू होगा।जो लगातार जारी रहेगा।चूँकि, अभी अधिकतर फिल्मों का हाल बेहाल हैं।फ़िल्म नीति बन गयी।पर,कलाकारों में जागरूकता की कमी हैं।फ़िल्म नीति का बनना बहुत ही सराहनीय कदम रहा हैं।यहाँ के कलाकारों के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल हैं।जिसका लाभ लेकर कलाकार बेहतर काम कर सकते हैं और फ़िल्म उद्योग के विकास में भी योगदान बढ़ता जाएगा।


धनबाद से वृष्टि फिल्म्स के राजेन्द्र महतो और उमा फ़िल्म प्रोडक्शन के अमन राठौर से बीच-बीच में जीतू राउत इसको लेकर चर्चा भी करते रहें हैं।खोरठा गीतकार विनय तिवारी से भी मिलकर कई चर्चायें की जा चुकी हैं।अमन राठौर ने भी कहा कि उनकी चाहत हमेशा से अपने भाषा के प्रति काम करने की रही हैं।वे बस एक अच्छी टीम और मौके की तलाश में थे।क्योंकि,जीतू राउत की एक आदत हमेशा रही हैं कि अगर कही काम शुरू करना हैं।तो सबसे पहले वहाँ की स्तिथि और दर्शकों को समझना जरूरी हैं।विनय तिवारी,अमन राठौर और राजेन्द्र महतो से कई बार चर्चा के बाद जीतू राउत ने अंततः काम करने का मन बना लिया।

पत्रकार युधिष्ठिर महतो(कुमार युडी) ने जीतू राउत से बात की और कुछ सवाल जवाब का सिलसिला भी चला।उनके बीच हुई वार्तालाप का कुछ अंश………
★सबसे पहले आप अपने बारें में बताए, ताकि झारखण्ड के दर्शक आपसे परिचित हो सके।
★जीतू राउत :- मै कटक उड़ीसा से हूँ।कॉलेज तक कि पढ़ाई पूरी किया हूँ।मेरे पिता सब्जी की दुकान चलाते थे।मैं बचपन से ही छुप कर डांस क्लास के लिए जाया करता था।पिताजी मना भी करते थे।पर जारी रहा और कॉलेज के बाद मैंने अपना डांस इंस्टिट्यूट शुरू किया।डांस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुका हूँ।
★उड़ीसा में जब आप इतने सालों से काम किये तो संघर्ष और परेशानी का दौर कैसा रहा?
★जीतू राउत :- संघर्ष तो हमेशा से ही रहा हैं।आर्थिक परेशानी भी रही ही।लेकिन,कुछ काम कर मैनेज करता रहा और आगे बढ़ता गया।जब काम और नाम दोनों की कमी दूर हो गयी।तो फिर लगातार काम चलता रहा।
★उड़ीसा का अनुभव कैसा रहा?
★जीतू राउत:-अनुभव अच्छा ही रहा।शुरुआत में 100 रुपये पर काम करता था और उस समय 2 से ज्यादा फिल्में नहीं बनती थी।पर आज कमाई और काम दोनों ही बढ़ चुका हैं।मेरी पहली फ़िल्म अग्नि पोखिया थी और पहला एल्बम लाल चुनरी थी।
★इतने काम करने के बाद कोई सम्मान।
★जीतू राउत:-वैसे तो मुझे अब तक एक ही अवॉर्ड मिला हैं।पर मुझे अवॉर्ड की चाहत नहीं हैं।दर्शक मेरे काम को पसंद करें और सिनेमाघरों तक आये।यही मेरे लिए अवार्ड होगा।
★अब जब आप झारखण्ड में काम शुरू करने की सोच रहे हैं,तो इसकी कोई खास वजह।
★जीतू राउत:-अगर आप कोई काम करते हैं तो हर काम में वजह होती हैं।झारखण्ड में फ़िल्म निर्माण की कई संभावनायें हैं।पर यहाँ गुणवत्ता पूरक काम बहुत कम हो रही हैं।अधिकतर फिल्में बनने के बावजूद रिलीज नहीं हो पाती हैं।इस वजह यह मुझे अच्छी नहीं लगी।जिससे प्रभावित होकर मैंने यहाँ काम करने की सोची।
★झारखण्ड में काम करने की शुरुआत किनके सहयोग से कर रहें हैं?
★जीतू राउत:-झारखण्ड मेरे लिए नया हैं।लेकिन,फ़िल्म निर्माण मेरे लिए नया नहीं हैं।इसके कारण काम करने की कोई परेशानी नहीं होगी।रही बात जगह की तो विनय तिवारी,अमन राठौर और राजेन्द्र महतो के साथ से सब ठीक ही होगा।


★आप जब यहाँ काम करने की शुरुआत कर रहें हैं,तो फिर खोरठा भाषा को ही क्यों चुना?
★झारखण्ड की सभी भाषा अच्छी हैं।यहाँ की कला संस्कृति भी मन को मोह लेती हैं।खोरठा में काम करने का कारण यही हैं कि इसकी लोकप्रियता अधिक हैं।इस भाषा को बोलने वाले करीब डेढ़ करोड़ हैं।सबसे अच्छी बात है कि विनय तिवारी,अमन राठौर और राजेंद्र महतो से मित्रता होने के बाद तो इन्ही के साथ काम भी करना हैं।
★टीम में राष्ट्रीय चित्रकार रंजीत कुमार भी आपके साथ हैं,इसकी कोई खास वजह।
★साथ काम करने के लिए वजह नहीं होती हैं।काम करने के लिए उनकी प्रतिभा ही मुख्य होती हैं।इनका नाम सुना और काम भी देखा हूँ।जिससे प्रभावित हुआ।जब अच्छी टीम में अच्छे लोग हो।तो फिर काम जबरदस्त होता हैं।
★आप किस मुद्दे को लेकर यहाँ काम करने वाले हैं?
★पहले तो यहाँ के दर्शकों के हिसाब से फ़िल्म करूँगा।फिर आगे चलकर यहाँ की कुछ ज्वलंत मुद्दे को अपने फ़िल्म का हिस्सा बनाऊँगा।क्योंकि,दर्शक को जब लगेगा कि यह उसकी कहानी हैं।तो वह खुद ब खुद देखने आयेंगे और कुछ जानेंगे,सीखेंगे और मनोरंजित भी होंगे।
★उड़ीसा और झारखण्ड में आपको क्या फर्क नजर आता हैं?
★सच पूछिए तो एक कलाकार के लिए जगह में कोई फर्क नहीं दिखता हैं।उसे काम करने के मुताबिक जगह जहाँ मिल जायें।वह वहीं बेहतर काम कर लेता हैं।

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